फल सब्जी उत्पाद की पैकिंग, लेबलिंग और भारतीय खाद्य कानून
विजय कुमार शाह
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फल सब्जी प्रसंस्करण की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया
लेबलिंग है | अकसर छोटे उत्पादक का सारा ध्यान अपने उत्पाद की
गुणवत्ता सुधारने में रहता है और वह लेबल के प्रति उतना सजग नहीं रहता, जिससे वे
त्रुटिपूर्ण होते हैं | ऐसा कुछ तो अज्ञानतावश है, कुछ लेबल के महत्व को कम आँकने
के कारण | अकसर बड़ी कंपनियों के लेबल पर सूचना तो सही होती है पर उनका आकार FSSAI के मानक से छोटा होता है | लेबल में
मामूली भूल भी उन्हें दंड का भागी बना सकती है | इस आलेख में फल सब्जी उत्पाद के
लेबल पर क्या आवश्यक सूचना हो, इसकी चर्चा है |
सभी खाद्य निर्माता को यह तो पता है कि उसे FSSAI के अंतर्गत उत्पादन
के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है | लेकिन अगर वह अपने उत्पाद को खुदरा बिक्री के लिए
पैकिंग करता है तो उसे विधिक माप – विज्ञान विभाग से भी लाइसेंस लेना जरूरी है |
FSSAI के अनुसार लेबल पर कम से कम 13 से 16 सूचनाएं आवश्यक है | इनमें से एक भी छूट गई तो आप का लेबल गलत माना जाएगा | इसके अलावा कुछ सहयोज्य पदार्थ जैसे कृत्रिम शर्करा (सैक्रिन इत्यादि), तथा कुछ अन्य पदार्थों के उपयोग को भी विशिष्ट प्रकार से दर्शाना है |
इतना ही नहीं, लेबल कितना
बड़ा हो, उसपर छपे अक्षरों की ऊंचाई और मोटाई, कौन सी सूचना लेबल के किस भाग में
हों, जहां वजन लिखा हो, उसके चारों तरफ कितनी जगह हो, इन सब के बारे में भी दिशा
निर्देश हैं | इन में छोटी से गलती भी आपके उत्पाद को फेल कर देगी, चाहे वह कितना
भी स्वादिष्ट हो |
अगर आपके उत्पाद के
बारे में FSSAI में कोई मापदंड न हो, तो लेबल पर
क्या लिखें ? ये सब नियम और उपनियम FSSAI की 3 पुस्तकों और विधिक
माप – विज्ञान के नियमों में दिया गया है | इस लेख का सारांश “लेबल पर सूचना
प्रबंधन की प्रक्रिया”
के अंतर्गत दिया है | अंत में, लेबल बनाने
के विभिन्न चरणों को दर्शाने के लिए एक सास के लेबल को बनाने का अभ्यास किया गया है
|
प्रस्तुत आलेख में इन
सभी के आधार पर सही लेबल के बारे में लिखा गया है |
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