अचार
संरक्षण के सिद्धांत
विजय कुमार शाह
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भारत में अचार
उद्योग अभी भी मुख्यतः छोटे स्तर के उत्पादकों के नियंत्रण में है । ये लोग अपने
पारंपरिक पुश्तैनी विधि और मिस्त्री की सलाह से अचार का उत्पादन करते हैं । इनके
बनाए अचार स्वादिष्ट तो होते हैं, पर अकसर इन्हें उसके संरक्षण के लिए आवश्यक
वैज्ञानिक जानकारी का अभाव होता है । इस आलेख में इस पहलू पर चर्चा की गई है ।
संक्षेप में विभिन्न प्रकार के
अचार को संरक्षित रखने के लिए आवश्यक मान दण्ड निम्न हैं –
नमक
|
खटास
|
pH
|
ब्रिक्स
|
टिकने
का मुख्य कारण |
||
1 |
तेल
वाले अचार |
12 - 15 |
1.8
-2.5 |
2.3
- 3.0 |
- |
कम
नमी, कम pH, कम
Eh |
2 |
बिना
तेल के अचार |
15
- 16 |
2.0
- 2.5 |
2.3
- 3.0 |
- |
कम
नमी, कम pH, कम
Eh |
3 |
मीठा
देशी अचार |
1.5
- 2.5 |
1
- 2 |
<
3.0 |
65
- 68 |
कम
नमी, कम pH |
4 |
मैंगो
चटनी (निर्यात) |
2
- 2.5 |
1-
1.5% |
2.3
- 2.6 |
60 |
कम
नमी, कम pH, ऐसीटिक ऐसिड
|
5 |
सिरके
में अचार |
4 |
2.5
- 3 |
<
2.5 |
- |
कम
pH,
ऐसीटिक ऐसिड |
6 |
सिरके
में ताजी सब्जी का अचार |
2.5
- 3.0 |
0.6
- 0.8 |
<
3.5 |
- |
पासचुराइज, कम pH |
7 |
लैक्टिक
किण्वित सिरका रहित अचार |
2.0
- 3.5 |
0.6
- 2.0 |
3.5
- 4.5 |
- |
प्रतिस्पर्धी
जीव और कम तापमान |
8 |
टुकड़े
नमक के घोल में |
16
- 20 |
1
- 2 |
<
3.5 |
- |
कम
नमी, कम pH, कम
Eh |
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