19 March 2018

अचार मुरब्बा और भारतीय खाद्य कानून


अचार मुरब्बा उद्योग और भारतीय खाद्य क़ानून

विजय कुमार शाह

shahvk55@gmail.com, मोबाइल +91 99353 60033 वाट्सएप +91 98397 84033


‘खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2011’ को अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुरूप बनाने के लिये इसमें निरंतर बहुत से बदलाव किये जा रहें हैं, जिन्हें जानना हर खाद्य पदार्थ निर्माता और खाद्य व्यापारी के लिए आवश्यक है | इसके लिए FSSAI की पुस्तक http://foodregulatory.fssai.gov.in/all-food-regulations > The Food Safety and Standards Regulations > 2. Compendium of Food Safety and Standards (Food Product Standards and Food Additives) Regulation - Version –V (18.12.2017) को अवश्य डाउनलोड करें |
यह लेख इसी पुस्तक पर आधारित है, और इसमें जो भी पेज नंबर या अन्य संख्या हैं वे इसी पुस्तक की हैं |

अगर आपको यह पुस्तक छपी हुई किताब के रूप में चाहिए तो आप इसे हिन्दी या अंग्रेजी में निम्न पते से प्राप्त कर सकतें हैं |
इंटरनेशनल लॉ बुक कम्पनी,
1562, चर्च रोड, काश्मीरी गेट, दिल्ली 110006
फोन नंबर – 2386 – 7810 / 9939 / 4769 email – ilbco@ilbco.com

FSSAI से डाउनलोड करने में एक तो वह मुफ्त में है और दूसरा हमेशा नवीनतम संस्करण मिलेगा |

सबसे मुख्य बदलाव हुवा है -
सभी खाद्य पदार्थों को समूह में बाटना -
पहले खाद्य क़ानून में, अलग अलग पदार्थों के नाम के अनुसार उनमें डाले जा सकने वाले केमिकल निर्धारित थे, जैसे अचार, सिरका या सास में किन रसायनों को डाला जा सकता है और किन्हें नहीं |  पर इतने तरह की खाने की वस्तुवें हैं और एक ही खाद्य पदार्थ का नाम अलग अलग भाषाओं में भिन्न भिन्न होता है, जिस कारण अक्सर इससे भ्रम पैदा होता था, जैसे मीठे अचार, धनिया की चटनी, आलू पापड़ में किन रसायनों का उपयोग करें ? हिन्दी में केचप को चटनी कहतें हैं जबकि अंगरेजी में चटनी का अर्थ है खट्टा मीठा अचार |

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य क़ानून का अनुसरण करते हुवे, अधिसूचना संख्या F. No. 11/09/Reg/Harmoniztn/2014, दिनांक 5th September, 2016; के द्वारा दुनिया में बनने वाले सभी खाद्य पदार्थों को 16 समूहों में बाँटा गया है, जिन्हें क्रमांक 1 से 16 दिए गए हैं | इनके अलावा समूह नंबर 99 है जिसमे खाने में पड़ने वाले सभी रसायनों को शामिल किया गया है | अब अचार में क्या रसायन पड़ेगा इसे अचार के नाम से न खोज कर, पहले उसके समूह का पता लगाना होगा और फिर उस समूह में किन रसायनों का उपयोग हो सकता है |

पहले की तरह अब भी कुछ भी बनाते समय दो  बातें ध्यान में रखनी होगी |
1.  उसको बनाने में कौन सी सामग्री (रसायनों के अलावा) डाली जा सकती है जैसे चीनी, नमक, मसाले इत्यादी तथा उस पदार्थ की गुणवत्ता का मापदंड मुख्य क़ानून में मिलेगा |
2.  उनमें कौन से रसायन डाले जा सकतें है वे परिशिष्ट ‘अ’ में दिए गये हैं | पहले की अपेक्षा अब उपयोग में लाये जाने बाले रसायनों की सुची काफी लम्बी हो गयी है |

क्विक एक्सेस (त्वरित पहुँच)
अपने पदार्थ की गुणवत्ता और उसमें पड़ सकने वाले पदार्थों और रसायनों की सुची आसानी से देखने के लिए FSSAI ने एक साइट भी बनाई है http://fssai.gov.in/quickaccess/getSubCategoryList?productid=0&productname.
इस साइट पर जा कर किसी उत्पाद का नाम टाइप करने पर उसमें डाले जा सकने वाले रसायन के नाम आ जायेंगें |
वैसे अगर चिली सास में पड़ने वाले केमिकल के नाम जानना है तो चिली टाइप करने पर हरी मिर्च के बारे में आयेगा न कि उसके सास के बारे में | सास टाइप करने पर एक लिस्ट कई प्रकार के सास की आयेगी जिसमें से चिली सास को चुना जा सकता है |
चेतावनी  :  ध्यान रहे, उस साइट पर नीचे टिप्पणी है कि यदि क्विक एक्सेस में दिए रसायनों की सुची और मुख्य क़ानून अर्थात Food Safety and Standards (Food Product Standards and Food Additives) Regulation की सुची में अगर कोई अंतर है तो रेगुलेसन की  सुची को ही सही माना जाएगा | अतः यहाँ हम लोग रेगुलेसन को ही आधार मान कर चर्चा करेंगें | क्विक एक्सेस को आप रिफरेन्स के रूप में इस्तेमाल कर सकतें हैं |

इस लेख में  अचार, मुरब्बा और गन्ने, जामुन का सिरका बनाने वाले उद्योग के लिए क़ानून में परिवर्तन के बारे में लिखा है |  पूर्वांचल में इन्हें बनाने वाले बहुत से छोटे छोटे कारखाने हैं | FSSAI की उपरोक्त पुस्तक में इनके बारे में उल्लेख सारिणी 1 में लिखे पन्नों में मिलेगा –
सारिणी 1
अचार मुरब्बा का खाद्य क़ानून पुस्तिका* में उल्लेख
पदार्थ
गुणवत्ता
पेज संख्या
खाद्य समूह
पेज संख्या
मुरब्बा (चाशनी सहित)
2.3.25
121
4.1.2.7
324, 387
सूखा मुरब्बा (कैंडी, ग्लेज्ड और क्रिस्टलाइज्ड फल और सब्जी)
2.3.26

121

4.1.2.7 फलों के

324, 387,
4.2.2.6 सब्जी के
326,399
अचार
2.3.43
127
4.1.23- - फलों के 

323,382
4.2.2.3 - सब्जियों के
326,396
सिरका
2.3.46
131
12.3
340, 463

कामन रसायन
करीब 186 रसायन ऐसे हैं जिन्हें अधिकाश खाद्य पदार्थों में उचित मात्रा में डाला जा सकता है | पूरी सुची पन्ना नंबर 504 पर है |  उनमें से अचार और मुरब्बा उत्पादकों के लिए उपयोगी रसायन (उनका इ नंबर कोष्टक में) निम्न हैं  -
एसिडिटी रेगुलेटर –
एसिड - एसीटिक (260), साईट्रिक (330); लैक्टिक (270); मैलिक (296); फ्यूमरिक (297);
ग्लुकोनो-डेल्टा-लैक्टोन (575); हाईड्रोक्लोरिक (507).
क्षार – खाने वाला सोडा (500(ii)); कपड़े धोने का सोडा (500(i)); सोडियम हाइड्राआक्साईड (524).

प्रिजर्वेटिव-  कैल्सियम प्रोपिओनेट ( 282)
प्राकृतिक रंग –  हरा – क्लोरोफिल (140)
गोंद (गाढ़ा करने के लिए) – सोडियम अल्जीनेट (401), गुआर गम (412), जैन्थन गम (415), पेक्टिन (440) .
माडीफाइड स्टार्च (1400 से 1452 के बीच)

टुकड़ों को कडा करने के लिए –   
कैल्सियम लैक्टेट (327), कैल्सियम क्लोराइड (509), चूने का पानी (526 और 529)

चमकीली परत –  पुलुलान (1204)
पालियोल –  मैनिटाल (421), आईसोमाल्ट (953), लैक्टीटाल (966), ऐरीथ्रीटाल (967),
पालीडेक्सट्रोज (1200),  माल्टीटाल (965).
ह्यूमेक्टेंट  - सार्बीटाल (420), ग्लिसरीन (422)

कृत्रिम मीठास – थाउमेटीन (957), पालीग्लाईसीटाल सीरप (964).
नमक का पर्याय  – पोटैसियम क्लोराईड (508)
छानने में सहायक  - पालीविनाईल पाइरोलिडान अघुलनशील (1202)

यह सूची तो उन रसायनों की है जिन्हें अधिकांश खाद्य पदार्थों में उपयोग कर सकतें हैं | इनके अलावा समूह के अनुसार भी रसायनों की सूची और उनकी गुणवता के बारे में निर्देश क़ानून में हैं |


कुछ शब्दों के अर्थ -
1.  पात्र में पदार्थ भरना –
बोतल या जार, पूरी तरह भरे होने चाहिए | पात्र का कमसे कम 90% भाग उत्पाद से भरा हो | अर्थात यदि पात्र का आयतन 1000 मीली लीटर है तो उसमें कमसे कम 900 मीली लीटर उत्पाद से भरा हो | पात्र का आयतन का अर्थ है उसे पूर्ण रूप से भरने के लिए कितने जल की आवश्यकता है |
ध्यान रहे कि यह 900 मिली लीटर है न कि 900 ग्राम | 900 मीली लीटर मुरब्बा 1200 ग्राम और अचार 1040 ग्राम हो सकता है | यह उस पदार्थ के सापेक्ष घनत्व पर निर्भर करेगा |
2.  पोषक शर्करा का अर्थ चीनी, ग्लूकोज, इनवर्ट सूगर से है, क्योंकी इन्हें खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है | जबकि सैकरीन जैसे मिठास के रसायन कृत्रिम मिठास के अंतर्गत आतें हैं क्योंकि यद्यपि ये मीठे होते हैं पर ये शरीर को ऊर्जा नहीं प्रदान करते |
3.  गीला मुरब्बा का अर्थ चाशनी सहित मुरब्बा जैसे आंवला, सेव, बेल इत्यादी के मुरब्बे |
4.  सूखा मुरब्बा जिसमें चाशनी नगण्य हो जैसे टूटी फ्रूटी, करोंदा इत्यादी या जो बिलकुल सूखे हों जैसे पेठा |
5.  फलों के मुरब्बे – जो फल से बने हों जैसे आम, आंवला, बेल, सेव इत्यादी |
6.  सब्जी के मुरब्बे – जो सब्जी या मसालों से बने हों जैसे गाजर, पेठा, हरड़, अदरख, बांस इत्यादी






मुरब्बा – गीला (चाशनी में डूबा हुआ) और सूखा
खाद्य क़ानून के अनुसार
2.3.25 – गीला मुरब्बा – (पेज 121)
यह साबूत, कटे हुवे, लच्छेदार, उचित रूप से तैयार किये गये फल, सब्जी या कंद  के टुकड़े – जो एक या अनेक प्रकार के फल सब्जी के हो सकतें हैं, जिन्हें पोषक शर्करा में उचित रूप से गाढ़ा कर के इतना पकाया गया हो कि वे प्रिजर्व हो जाएँ |
मुरब्बे में फल साबूत, टुकड़े या लच्छे हों | फल गूदे के रूप में नहीं अन्यथा वह जैम कहलायेगा |
आंवला लड्डू इस श्रेणी में आयेगा पर आंवला बर्फी नहीं |

2.3.26-  सूखा मुरब्बा (पेज 121)
किसी फल, सब्जी, कंद, फलों के छिलके इत्यादी में पोषक शर्करा की इतनी मात्रा हो कि वह प्रिजर्व हो जाए | ये तीन प्रकार के हो सकतें हैं –
कैंडीड फ्रूट -  मुरब्बे में से चाशनी छान लेने पर वह कैंडी कहलायेगी जैसे टूटी फ्रूटी, करोंदा मुरब्बा | इस पर चाशनी की हलकी परत हो सकती है अतः यह थोड़ा चिपचिपा हो सकता है |
क्रिस्टलाइज्ड फ्रूट – कैंडी पर चीनी के दाने चिपकें हों | जैसे अदरख के सूखे मुरब्बे |
ग्लेज्ड फ्रूट – जिसपर चीनी की सूखी परत चिपकी हो जैसे सूखा पेठा | इस परत को जमाने के लिए पेक्टिन का उपयोग किया जा सकता है |
सारिणी 2
मुरब्बे / सूखे मुरब्बे की गुणवत्ता का मानक
मानक
गीला मुरब्बा
सूखा मुरब्बा
2.3.25
2.3.26
ब्रिक्स (न्यूनतम)
65
70
मुरब्बे में फल का अंश *
55% न्यूनतम
----
कुल शर्करा में रिड्यूसिंग शर्करा का प्रतिशत #
------
25% न्यूनतम

·       कुल सामग्री का कमसे कम 55% फल हो और चाशनी की मात्रा अधिकतम 45% ही हो सकती है | बोतल बंद आंवला और सेव मुरब्बा में इस मानक को पूरा करने में विशेष सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि उन फलों के बीच में रिक्त स्थान अधिक होता है |
# सूखे मुरब्बे में रिड्युसिंग शर्कर का अर्थ – ग्लूकोज से है | चीनी अधिक गाढ़ी होने पर ज़मने लगती है | ग्लूकोज जल्दी नहीं जमता | चीनी की चाशनी में खटाई डाल कर गरम करने से वह ग्लूकोज में बदल जाती है | इस ग्लूकोज की मात्रा को प्रयोगशाला में नापा जा सकता है | सो यदि सूखे मुरब्बे में कुल चीनी 72% हो तो उसमें कमसे कम उसका चौथाई (25%) अर्थात – 18% ग्लूकोज के रूप में हो |

सूक्ष्म जीवाणुवों की संख्या का मानक  (पृष्ट 535/536)
फफूंदी का अंश            -     25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
फफूंदी का अंश पाए जाने का अर्थ है कि मुरब्बा बनाते समय वह सूक्ष्म जीवाणुवों द्वारा संक्रमणित हो गया था | ऐसा कारखाने में गन्दगी होने पर संभव है |

मुरब्बे के समूह
इसमें मुरब्बे में डाले जा सकने वाले रसायनों की सूची है | पेज 504 पर दिए हुवे कामन रसायन तो मुरब्बे में डाले जा सकते हैं,  इनके अलावा मुरब्बे में सारिणी 3 में दिए रसयानों का भी उपयोग किया जा सकता है |
4.1.2.7 – कैंडीड फ्रूट – ( पेज 324, 387) – जैसे आंवला, बेल, बेर, आम, नारंगी इत्यादी का मुरब्बा – सूखा या गीला |
4.2.2.6 – इसमें कैंडीड सब्जियां (जिसमें मशरूम, कंद, जड़ें, दाल, एलो वेरा, मेवे इत्यादी भी शामिल हैं ) (पेज 326, 399) – इसमे गाजर, अदरख इत्यादी के मुरब्बे के अलावा टमाटर केचप, गाजर हलवा, लौकी की बर्फी, काजू बर्फी इत्यादी भी शामिल है | यह दर्शाता है कि समूह किसी उत्पाद विशेष से अधिक व्यापक है |

सारिणी 3
मुरब्बे में डाले जा सकने वाले रसायनों की सूची (ग्राम / 100 किलो मुरब्बा)
 ग्रुप
रसायन
ई नंबर
खाद्य समूह के अनुसार
फलों के मुरब्बे
सब्जी की कैंडी
4.1.2.7
4.2.2.6
कृत्रिम मिठास
एक्युसल्फेम – पोटैसियम
950
50
35

एस्परटेम
951
200
100

एस्परटेम ऐक्युसल्फेम लवण
962

35

नियोटेम
961
6.5
3.3

सैकरीन


20

सुक्रालोज  
955
80
40

स्टीविया
960

16.5





प्रिजर्वेटिव
बेंजोएट

100
300

पैराबेन

100
100

सार्बेट

50
100

सल्फाइट

10 कैंडी     
4 गीले
30

कैल्सियम प्रोपिओनेट

आवश्यकतानुसार
आवश्यकतानुसार
रंग – प्राकृतिक




पीला
एनाटो
160 b
20


कुरक्युमिन
100
20

नारंगी
केरोटीनायड

20
5

बीटा कैरोटीन – वेजिटेबल
160 a (ii)
100
100

जैन्थेजैन्थीन
161 g
20
10

राईबोफ्लेविन

30
30
भूरा
कैरामेल – III
150 c
20
5,000

कैरामेल – IV
150 d
750

हरा
क्लोरोफिल और उसके ताम्बे के योगिक

25
10
लाल – बैंगनी
लाल अंगूर के छिलके का सत
163 (ii)
100
10
रंग कृत्रिम




लाल
ऐलुरा रेड ए सी 
129
10
10

पान्सियो 4 आर
124
20

गुलाबी
ऐरोथ्रोसीन
127
10

नारंगी
सन सेट येलो एफ सी एफ
110
20

पीला
टारट्राजीन
102
20

हरा
फास्ट ग्रीन एफ सी एफ
143
20

लाल भूरा
आयरन आक्साइड

25

नीला
इंडिगोटीन
132
20
10

ब्रिलियंट ब्लू
133
20
10





खटाई
टार्टरिक एसिड
334
आवश्यकतानुसार






इमल्सीफायर
 डेटम
472.e
100
250

पालीसार्बेट


300

सुक्रोग्लिसराइड
474

500

प्रोपीलीन ग्लाईकाल ईस्टर ऑफ़ फैटी एसिड
477

500





अन्य रसायन
पाली डाई मिथाइल सिलाक्सेन
900 a

5

फास्फेट

1
220

इ डी टी ए


8
4.1.2.7 के अनुसार चासनी वाले फलों के मुरब्बे में कोई भी रंग या कृत्रिम मिठास
का उपयोग नहीं कर सकतें हैं

रंग
पुराना क़ानून
गीले मुरब्बे में केवल पपीते के मुरब्बे में (जैसे टूटी फ्रूटी) में रंग डाल सकतें थे |
सूखे मुरब्बे में सभी अनुमोदित रंग डाले जा सकते थे |
वर्त्तमान कानून के अनुसार –
ऐलुरा रेड ए सी और आयरन आक्साईड ये दो नए कृत्रिम रंग अब डाले जा सकतें है |
4.1.2.7 के अनुसार – गीले मुरब्बे में रंग नहीं डाल सकते जब कि सूखे में डाल सकतें हैं |
क्लोरोफिल (हरा रंग) सभी मुरब्बे में डाले जा सकतें हैं | खास  तौर पर यह आंवला उत्पाद में उपयोगी है |

मिठास –
मुरब्बे / कैंडी का न्यूनतम ब्रिक्स 65/70 होना जरूरी है | यद्यपि कृत्रिम मिठास फलों के गीले मुरब्बे को छोड़ कर बाकी सबमें डाले जा सकतें हैं परंतू 65 / 70 % चीनी डालने पर मुरब्बे इतने मीठे हो जायेंगे कि उन्हें और मीठा करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी |

प्रिजर्वेटिव
पहले मुरब्बे में बहुत कम प्रकार के प्रिजेर्वेटिव और कम मात्रा में ही डाला जा सकता था अब कई प्रिजर्वेटिव डाले जा सकतें हैं और उन्हें पहले से ज्यादा मात्रा में डाला जा सकता है |  इनमें से बहुत से प्रिजर्वेटिव जैसे पैराबेन, प्रोपिओनेट और सारबेट अधिक पी एच (अर्थात कम खट्टे मुरब्बों) में भी प्रभावकारक हैं | सोडियम बेंजोएट पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में डाला जा सकता है | सब्जीयों के मुरब्बे कम खट्टे होतें हैं अतः उनमें प्रिजर्वेटिव अधिक मात्रा में डाले जा सकतें हैं | ये सब बदलाव पेठा, बेल इत्यादी मुरब्बे जो कम टिकाऊ थे उन्हें अब लम्बे समय तक टिकाने में सहायक होंगे |


सारिणी 4
मुरब्बे में डाले जा सकने वाले प्रिजवेटिव (अधिकतम ग्राम / 100 किलो मुरब्बा)
रसायन
पुराना क़ानून
नया क़ानून
चाशनी वाला मुरब्बा
सूखा मुरब्बा
फल का मुरब्बा (सूखा और चाशनी वाला दोनों ही)
सब्जी  का मुरब्बा (सूखा और चाशनी वाला दोनों ही)
सोडियम मेटा बाई सल्फईट
6.25
23.5
5.7 गीले मुरब्बे
14.8 सूखे मुरब्बे   
44.5
सोडियम बेंजोएट
23.8
----
120
360
पोटैसियम सार्बेट
67.5
67.5
67.5
134
पैराबेन


100
100
कैल्सियम प्रोपियोनेट


आवश्यकतानुसार
आवश्यकतानुसार

एसिडिटी रेगुलेटर –
ग्लुकोनो डेल्टा लैक्टोन – इसका आविष्कार कुछ समय पहले ही हुआ है और यह महंगी भी है | इसका प्रभाव धीरे धीरे होता है | अर्थात किसी खाद्य पदार्थ में मिलाने के कुछ समय बाद वह खट्टा होगा | इससे आंवला बर्फी, आंवला लड्डू जैसे पदार्थों को जमाते समय या बांधते समय वे ढीले रहेंगे और बाद में जमेंगे | इसका स्वाद भी तीखा नहीं होता है |

हाईड्रोक्लोरिक एसिड – नमक का तेज़ाब – यह फ़ूड ग्रेड का होना चाहिए | बहुत थोड़ी मात्रा में ही यह pH कम कर देगी और स्वाद खट्टा नहीं होगा | इसका उपयोग पेठा मुरब्बा, टूटी फ्रूटी इत्यादी में किया जा सकता है जिससे उनका pH कम करके उन्हें अधिक समय तक संरक्षित किया जा सके और उनका स्वाद भी खट्टा न हो | 

गोंद (गाढ़ा करने के लिए) –
वैसे तो मुरब्बे की चाशनी अगर सही ब्रिक्स की हो तो गाढ़ी रहती है पर जरूरत हो तो उसे जैन्थन गम से गाढ़ा कर सकते हैं | जैन्थन गम चाशनी में चमक भी लाएगा | पेक्टिन और सोडियम अल्जीनेट भी ठीक हैं पर उन्हें अधिक मात्रा में डालना पड़ता है जिससे लागत अधिक पड़ती  है |

टुकड़ों को कड़ा करने के लिए –
कैल्सियम लैक्टेट (327), कैल्सियम क्लोराइड (509), चूने का पानी (526 और 529)
चूने का पानी का प्रयोग तो मुरब्बे में होता आया है |
कैल्सियम क्लोराइड भी अचार मुरब्बे में कुरकुरापन लाने के लिए इस्तेमाल करते हैं |
कभी कभी कैल्सियम क्लोराइड से कड़वापन की शिकायत आती है | वहां कैल्सियम लैक्टेट का इस्तेमाल करना चाहिए | ख़ास तौर से कुकुरबिटैसी (ककड़ी प्रजाती ) फल सब्जीयों में यह अधिक अच्छा है |

चमकीली परत –
पुलुलान (1204) – सूखे मुरब्बे, टूटी फ्रूटी इत्यादी के ऊपर सूखी चमकीली परत बनाने के लिए इस पर खोज करना चाहिए |

पालियोल –
मैनिटाल (421), आईसोमाल्ट (953), लैक्टीटाल (966), ऐरीथ्रीटाल (967), पालीडेक्सट्रोज (1200),
माल्टीटाल (965).
पालियोल खाद्य पदार्थ को फुलाने के लिए प्रयुक्त होते हैं | ये चीनी से कम मीठे होते हैं, कम केलारी और कम ग्लाईसेमिक वैल्यू होने से इनसे वजन और रक्त शर्करा नहीं बढ़ती | इसलिए मुरब्बे में चीनी के कुछ अंश के बदले इन्हें डालने से मुरब्बे कम मीठे लगेंगे और मोटे तथा डायेबेटीक के मरीज को भी ये कम हानीकारक होंगे |
पालियोल वस्तू को जल्द सूख कर कड़ा नहीं होने देगा जिससे सूखे मुरब्बे अधिक समय तक अन्दर से रसीले रहेंगें |

ह्यूमेक्टेंट
सार्बीटाल (420), ग्लिसरीन (422)
इनसे वस्तुवों में चमक आती है और वे जल्दी सूखती नहीं | इनका उपयोग भी मुरब्बे में हो सकता है |

छानने में सहायक
पालीविनाईल पाइरोलिडान अघुलनशील (1202)
इसे अंगूर की शराब के टैनिन जैसे पदार्थों को छान कर अलग करने के लिए होता है | उसी सिधांत पर आंवला मुरब्बे की चाशनी से भी कालापन जो टैनिन के कारण होता है दूर किया जा सकता है |

इ डी टी ए – इसका उपयोग मुरब्बे में यदि धातु के संपर्क में आने से कालापन आ जाए तो उसे दूर करने में सहायक होगा |



अचार - नमकीन और मीठे
खाद्य क़ानून के अनुसार
2.3.43 अचार (पेज 127)
अचार का अर्थ वह पदार्थ जो फलों, सब्जियों या मशरूम के पौधो से प्राप्त, उनके खाने योग्य ऐसे अंश से बनाई गयी हो जो कीड़े और फफूंदी के संक्रमण से मुक्त हो, इसमें एक या अनेक प्रकार के फल सब्जी हो सकतें हैं | यह केवल नमक, एसिड या चीनी के द्वारा या उन तीनो के किसी सम्मिश्रण द्वारा परिरक्षित हो | अचार में प्याज, लहसून, अदरख, चीनी, गुड़, खाद्य तेल, हरी या लाल मिर्च, मसाला, मसाले का तेल / ओलियोरेजिन, निम्बू का रस, सिरका, एसिटिक एसिड, साईट्रिक एसिड, सूखे मेवे एवं फल मिलाया जा सकता है | इसमें ताम्बा, खनिज अम्ल, फिटकरी और कृत्रिम रंग न हो, और इसमें किसी प्रकार का किण्वन (फर्मंटेशन) नहीं हो |

सूक्ष्म जीवाणुवों की संख्या का मानक (पृष्ट 535)
फफूंदी का अंश            -     25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
फफूंदी का अंश पाए जाने का अर्थ है कि अचार बनाते समय वह सूक्ष्म जीवाणुवों द्वारा संक्रमणित हो गया था | ऐसा कारखाने में गन्दगी होने पर संभावित है |

खाद्य क़ानून के अनुसार अचार चार प्रकार के हो सकते हैं –
i)        निम्बू के रस / या नमक के पानी में (अर्थात बिना तेल का)
अ)    ड्रेन्ड भार*                                  60% न्यूनतम
आ)  नमक के पानी में पैक होने पर - नमक की मात्रा        12% न्यूनतम
इ)     निम्बू के रस में पैक होने पर – साईट्रिक अम्ल की मात्रा 1.2% न्यूनतम            
ii)        तेल में अचार
अ)    ड्रेन्ड भार*                                  60% न्यूनतम
ब)       फल सब्जियों के टुकड़े तेल में पूरी तरह डूबे हों |
    iii)          सिरके में अचार
अ)    ड्रेन्ड भार*                                           60% न्यूनतम
आ)  सिरके की खटास – एसिटिक अम्ल के रूप में              2% न्यूनतम
iv)       साधन रहित अचार – उपरोक्त तीनों से भिन्न अचार |
इस अचार का लेबल पर नाम “( फल /सब्जी का नाम लिखें) अचार” हो |

टिप्पणी:
1.  * ड्रेन्ड भार – अर्थात अचार में ठोस भाग (फल सब्जी के टुकड़े) कितने प्रतिशत है | इसके लिए 100 ग्राम अचार को एक चलनी में रख कर पानी से उसका रस धो देते हैं | फिर 2 मीनट उसका पानी निथार कर चलनी के ऊपर बचे टुकड़ों का वजन कर लेते हैं | यह ड्रेन्ड भार है |
2.  साधन रहित अचार – आजकल अधिकांश लोग इसी अचार का लेबल लगाते हैं क्योंकि इसमें गुणवत्ता का बंधन नहीं हैं सो अचार के सैंपल को फेल होने की संभावना कम रहेगी | जैसे आम का अचार, निम्बू का अचार, मिश्र अचार इत्यादी | अगर उसके आगे तेल में या सिरके में लिख दिया, तो उसे उसके मानक में खरा उतरना पड़ेगा |
3.  नमक – अचार में प्रयुक्त होने वाले नमक पर विशेष ध्यान दें | बाजार में कई तरह का नमक मिलता है और ध्यान रहे कि आपके नमक का सैंपल फेल न हो |

2.9.30 (पेज 220) सामान्य खाद्य नमक –
यह सफ़ेद, हल्का पीला, गुलाबी या हलके भूरे रंग का दानेदार ठोस पदार्थ है, जिसमें मिट्टी, बालू या अन्य बाहरी अशुध्धियाँ न हों | इसमें नमी भी 6% से अधिक न हो | शुष्क आधार पर इसमें
सोडियम क्लोराईड (अर्थात नमक )                             - 96% न्यूनतम
सोडियम क्लोराईड से अतिरिक्त जल में घुलनशील अन्य पदार्थ            - 3%  अधिकतम
जल में अघुलनशील पदार्थ                                    - 1% अधिकतम
अगर नमक को पसीजने से बचाने के लिए रसायन डाले गएँ होंगे तो उस नमक में शुष्क आधार पर
सोडियम क्लोराईड (अर्थात नमक )                             - 97% न्यूनतम
जल में अघुलनशील पदार्थ                                    - 2.2% अधिकतम
इसके अलावा भी नमक कई वर्ग के हो सकतें हैं जैसे ‘आयोडीन नमक’, लौह युक्त नमक इत्यादी पर खाद्य पदार्थों में साधारण नमक का ही इस्तेमाल उपयुक्त है | न मिलने पर आयोडीन नमक इस्तेमाल करतें हैं |

अचार के समूह
इसमें अचार में डाले जा सकने वाले रसायनों की सूची है |
4.1.2.3 (पेज 323, 382) फल – सिरका, तेल या नमक के पानी में
इसके अंतर्गत फलों के अचार जैसे आम का अचार, निम्बू अचार, आंवला अचार, तरबूज के छिलके का अचार इत्यादी आते हैं |

4.2.2.3 (पेज 326, 396) -  सब्जियां ( मशरूम, जड़ें और कंद, दाल वाली फलियाँ और एलो वेरा सहित) सिरके, तेल, नमक के पानी और सोयाबीन सास में –
इसके अंतर्गत कच्ची सब्जी जो नमक के पानी में भिगोई है, आती है | जैसे पत्तागोभी का अचार, खीरा ककड़ी का अचार, जैतून, प्याज का अचार, मशरूम का तेल वाला अचार, इत्यादी | अदरख का अचार, लहसन का अचार, हरी मिर्च का अचार भी इसी श्रेणी में आयेगा |

इनके अलावा नमक के पानी में लैक्टिक फरमेंटेशन करके भी अचार बनाए जाते हैं | चूंकी इस विधी से अचार पूर्वांचल में नहीं बनाते अतः इस समूह पर विचार इस लेख में नहीं किया गया है | उनका सन्दर्भ निम्न है -
4.1.2.10 (पेज 324) फर्मेंटेड फल के उत्पाद
4.2.2.7 (पेज 326) – फर्मेंटेड सब्जियां
अचार में पेज 504 पर दिए हुवे कामन रसायन डाले जा सकते हैं,  इनके अलावा अचार में सारिणी 5 के रसयानों का भी उपयोग किया जा सकता है | इसमें 4.2.2 ( पेज 394) के रसायनों को भी डाला जा सकता है |

सारिणी 5
अचार में डाले जा सकने वाले रसायन (ग्राम / 100 किलो अचार)
ग्रुप
रसायन
ई नंबर  
खाद्य समूह
फलों का अचार 
सब्जियों का अचार 
4.1.2.3
4.2.2.3
कृत्रिम मिठास
एक्युसल्फेम – पोटैसियम
950
20
20

एस्परटेम
951
30
30

एस्परटेम – एक्युसल्फेम – लवण
962

20

निओटेम
961
10
1

सैकरीन

16
16

सुक्रालोज  
955
18
40





प्रिजर्वेटिव
बेंजोएट

25
200

पैराबेन

25
100

सार्बेट

100
100

सल्फाइट

10
10

लाउरिक आर्जिनेट इथाईल इस्टर
243

20
रंग – प्राकृतिक




नारंगी
केरोटीनायड

100
5

बीटा कैरोटीन – वेजिटेबल
160 a (ii)
100
132

राईबोफ्लेविन


50
भूरा
कैरामेल – III
150 c
20
50

कैरामेल – IV
150 d
750
5000
हरा
क्लोरोफिल और उसके ताम्बे के योगिक

10

लाल – बैंगनी
लाल अंगूर के छिलके का सत
163 (ii)
150






रंग कृत्रिम




लाल
ऐलुरा रेड ए सी
129

10
हरा
फास्ट ग्रीन एफ सी एफ
143

10
नीला
इंडिगोटीन
132

10

ब्रिलियंट ब्लू
133

10





खटाई
एसिटिक एसिड ग्लेसियल
260

आवश्यकतानुसार

साईट्रिक एसिड
330

आवश्यकतानुसार

लैक्टिक एसिड*
270

आवश्यकतानुसार

मैलिक एसिड
296

आवश्यकतानुसार





अन्य रसायन
 डेटम
472.e
100
250

पाली डाई मिथाईल सिलाक्सेन
900 a
1
1

फास्फेट

220


ई डी टी ए

25


फिटकरी
523

52
·       लैक्टिक एसिड केवल मशरूम अचार में

कृत्रिम मिठास 
इन को केवल खट्टे मीठे अचार में उपयोग कर सकतें हैं | चूंकी खट्टे मीठे अचार में ब्रिक्स की बाध्यता नहीं है, इसलिए इनकी मदद से सस्ते खट्टे मीठे अचार बनाए जा सकते हैं | साथ में उनमें गाढापन लाने के लिए गोंद (थिकनर) डाले जा सकतें हैं |
सारिणी 6
अचार में डाले जाने वाले प्रीजर्वेटिव (अधिकतम ग्राम/100 किलो अचार )
रसायन
पुराना क़ानून
नया क़ानून
फल का अचार 
सब्जी  का आचार
सोडियम मेटा बाई सल्फईट
15.6
15.6
15.6
सोडियम बेंजोएट
30
30
240
पोटैसियम सार्बेट

135
135
पैराबेन

25
100
लाउरिक आर्जिनेट इथाईल इस्टर


20
कैल्सियम प्रोपियोनेट

आवश्यकतानुसार
आवश्यकतानुसार

अचार में अब अधिक किस्मों के और अधिक मात्रा में प्रिजर्वेटिव डाले जा सकतें हैं | महंगे अचार जिनमें तेल, मसाले और खटाई की मात्रा पर्याप्त होती है उनमें खराब होने की संभावना नहीं रहती | पर अब इन प्रिजर्वेटिव की मदद से पानी वाले सस्ते अचार भी संरक्षित किये जा सकेंगें |
इसके अलावा अब अचार को टिकाने के लिए नमक और तेल के बजाय प्रीजर्वेटिव पर अधिक निर्भर हो सकते हैं जिससे अचार में नमक और तेल की मात्रा कम करके उसे स्वास्थ्य के लिए कम हानिकारक बनाया जा सकता है |

रंग
अचार में मसालों का आकर्षक रंग स्वतः आ जाता है | परंतू मसाले की मात्रा कम होने से अथवा अच्छी गुणवत्ता का मसाला न मिलने से अचार का रंग फीका होता है | पहले अचार में कोई रंग नहीं डाले जा सकते थे | अब बहुत से रंग डाले जा सकतें हैं और कम मसाले वाले अचार को भी आकर्षक बनाया जा सकता है |

एसिडिटी रेगुलेटर –
एसिटिक एसिड – अचार में इसीका उपयोग अधिक होता है | यह उड़नशील है जिससे मसालों की गंध तीव्र हो जाती है | यह pH कम कर के पदार्थ को टिकाता है | इसके अलावा अन्य एसिड के बनस्पति यह खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने में सहायक है | इसकी तीव्र गंध और स्वाद अपने देश में बहुत लोगों को अच्छी नहीं लगती |

साईट्रिक एसिड – अचार का pH 4.0 से नीचे रहना चाहिए | चूंकी एसिटिक एसिड की अधिक मात्रा लोग कम पसंद करतें हैं अतः साईट्रिक और ऐसिटिक का मिश्रण उपयोग में लाया जा सकता है |

लैक्टिक एसिड – विदेशों में अचार में इसका उपयोग होता है | एसिटिक और लैक्टिक का मिश्रण अचार में उपयोगी है | अचार में इससे चमक भी आती है | इसे बढ़ावा मिलना चाहिए |

हाईड्रोक्लोरिक एसिड – नमक का तेज़ाब – यह फ़ूड ग्रेड का होना चाहिए | बहुत थोड़ी मात्रा में ही यह pH कम कर देगी और स्वाद खट्टा नहीं होगा | इसका उपयोग सस्ते अचार में किया जा सकता है जिससे उनका pH कम करके उन्हें अधिक समय तक संरक्षित किया जा सके और उनका स्वाद भी अधिक खट्टा न हो | 

गोंद (गाढ़ा करने के लिए) –
सोडियम अल्जीनेट (401), गुआर गम (412), जैन्थन गम (415), पेक्टिन (440) .
इनमें जैन्थन और गुआर सबसे किफायती हैं | पानी वाले अचार, सस्ते मीठे अचार में ये उपयोगी हैं |
पेक्टिन और सोडियम अल्जीनेट भी ठीक हैं पर उन्हें अधिक मात्रा में डालना पड़ता है जिससे लागत अधिक पड़ती  है |
माडीफाइड स्टार्च – ये अचार को गाढा बनायेंगे और उनमें लसलसापन भी नहीं आयेगा |

टुकड़ों को कड़ा करने के लिए –
कैल्सियम लैक्टेट (327), कैल्सियम क्लोराइड (509),
कैल्सियम क्लोराइड अचार में कुरकुरापन लाने के लिए इस्तेमाल करतें हैं |
कभी कभी कैल्सियम क्लोराइड से कड़वापन की शिकायत आती है | वहां कैल्सियम लैक्टेट का इस्तेमाल करना चाहिए | ख़ास तौर से कुकुरबिटैसी (ककड़ी प्रजाती ) फल सब्जीयों में यह अधिक अच्छा है |
सब्जी वाले आचार में फिटकरी भी डाली जा सकती है |

नमक का पर्याय 
पोटैसियम क्लोराईड (508)
अचार में नमक के कुछ अंश के बदले में इन्हें डालने से अचार उच्च रक्तचाप वालों को कम नुकसान पहुंचायेगा |




सिरका
खाद्य क़ानून के अनुसार
2.3.46 – पेज 131 – सिरका – यह दो प्रकार का हो सकता है –
1. किण्वित (ब्रीव्ड) सिरका –
यह किसी समुचित माध्यम जैसे कि फल, माल्ट, जूसी (मोलैसेज), गुड़, गन्ने के रस आदि से केरामेल और मसाले मिला कर या मिलाये बिना, एल्कोहलीक और एसीटिक फर्मेन्टेशन द्वारा प्राप्त किया गया हो | इसका मानक निम्न हो –
अम्लता         3.75% न्यूनतम ( एसिटिक अम्ल के रूप में )
कुल ठोस पदार्थ 1.5%  न्यूनतम
कुल भस्म             0.18% न्यूनतम
इसमें सल्फ्यूरिक या कोई अन्य खनिज अम्ल नहीं होगा | इसमें कैरामेल के सिवाय कोई अन्य विजातीय पदार्थ या रंग नहीं होगा |
इसका सूक्ष्म जीवाणु मानक निम्न हो (पेज 536)
अ)    फ़्लैट सावर बैक्टीरिया                  10,000 से कम प्रति ग्राम में
आ)  स्टेफिलोकोकस आरियस                 25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
इ)     साल्मोनेल्ला                    25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
ई)     शिगेल्ला                       25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
उ)     क्लासट्रीडियम बाटूलिनम          25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
ऊ)    ई कोलाई                       1 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान
ऋ)   विब्रियो कालेरा                         25 ग्राम / मिलीलीटर में अविद्यमान

1.  कृत्रिम सिरका (पेज 131) –
इसे एसिटिक एसिड से तैयार करतें हैं | इसमें इच्छानुसार मसाले और कैरामेल डाला जा सकता है पर इन्हें डालना जरूरी नहीं है |  इसका मानक निम्न है -
i)        अम्लता         3.75% न्यूनतम ( एसिटिक अम्ल के रूप में )
ii)        इसमें सल्फ्यूरिक या कोई अन्य खनिज अम्ल नहीं होगा | इसमें कैरामेल के सिवाय कोइ अन्य विजातीय पदार्थ या रंग नहीं होगा |
कृत्रिम सिरके के लेबल पर साफ़ साफ़ लिखा होना चाहिए -
SYNTHETIC - PREPARED FROM ACETIC ACID.

टिप्पणी-
कृत्रिम सिरका का सूक्ष्म जीवाणु के मानक का पुस्तक में जिक्र नहीं है |

खाद्य समूह के अनुसार -
12.3 (पेज 340, 463) सिरका – यह तरल पदार्थ किसी उपयुक्त श्रोत (जैसे अंगूर की शराब, सेव की शराब) के अल्कोहल को फरमेंट करके बनाया जाता है | उदाहरण साइडर विनेगर, वाईन विनेगर, माल्ट विनेगर, स्प्रिट विनेगर, ग्रेन विनेगर, किशमिश विनेगर, फलों का विनेगर और सिंथेटिक विनेगर |

विनेगर में डाले जा सकने वाले रसायन
कैरामेल III (150 c)             आवश्यकतानुसार
कैरामेल III (150 d)             आवश्यकतानुसार
पैरबेन                         10 ग्राम / 100 किलो
पालीविनाईलपाईरोलिडान (1201)    4  ग्राम / 100 किलो
सल्फाईट                       10 ग्राम / 100 किलो
बेंजोएट (210)                  100 मिली ग्राम / 100 किलो  ( केवल किण्वित (ब्रीव्ड) सिरका में)

साधारणतया विनेगर में कैरामेल के सिवाय अन्य रसायनों का उपयोग नहीं होता है |

सारांश
नए खाद्य क़ानून के अनुसार अब पहले की अपेक्षा बहुत से रसायन खाद्य पदार्थों में डालने के लिए उत्पादक स्वतंत्र हैं | परन्तु इनमे से बहुत से रसायन इन खाद्य पदार्थों में डालने के लिए, हाल में ही भारतीय खाद्य क़ानून द्वारा स्वीकृत हुयें हैं | अतः इनके अचार मुरब्बे में प्रयोग का अपने देश में शायद ही किसी के पास प्रैक्टीकल ज्ञान हो | इनके उपयोग की संभावना है अतः पहले छोटे लाट में प्रयोग करने के बाद ही इन्हें अपनाएं |

अब खाद्य उत्पादकों को नए रसायनों के उपयोग के द्वारा अपने उत्पाद की गुणवत्ता में बदलाव लाने की  संभावना बहुत बढ़ गईं हैं | और वे अब नए नए प्रयोग करके विभिन्न ग्राहक वर्ग की आवश्यकतानुसार उत्पाद बना सकते हैं |

18.3.19







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